The रंगीला बाबा का खेल Diaries

कश्मीर में क्यों नहीं खिल पा रहा ‘कमल’, आखिर बार-बार कैसे चूक जाती है बीजेपी?

नादिर शाह घाघ था और घाट-घाट का पानी पिए हुए था more info उसने मौक़े पर वो चाल चली जिसे नहले पर दहला कहा जाता है.

इसके बाद जो हुआ वो इतिहास के पन्नों पर कुछ यूं बयां हैं-

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उन्हीं शाह हातिम के शागिर्द मिर्ज़ा रफ़ी सौदा हैं, जिनसे बेहतर क़सीदा निगार उर्दू आज तक पैदा नहीं कर सकी. सौदा के ही समकालीन मीर तक़ी मीर की ग़ज़ल का मुक़ाबला आज तक नहीं मिल सका.

एक तरफ़ तो वो ऐश-ओ-आराम से लबरेज़ ज़िंदगी जी रहे थे और जब इससे उकता जाते तो औलियाओं के हाथ थाम लेते थे.

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सारी रंगीनियां और रंगरेलियां अपनी जगह, मोहम्मद शाह रंगीला ने हिंदुस्तान की गंगा जमनी तहज़ीब और कलाओं को बढ़ावा देने में जो किरदार अदा किया उसे नज़रअंदाज़ करना नाइंसाफ़ी होगी.

सिर्फ नाटिका की प्रस्तुति ही नहीं बल्कि यहां नजर आ रही हर एक बारीकी और खूबसूरती इससे जुड़े कलाकारों की ही देन है. इसमें उनका खुद का ही श्रम समाहित है. नाटिका की कोरियाग्राफी भी राजकुमार शर्मा खुद करते हैं.

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उस पर भी बारिश की वजह से सोयाबीन का उत्पादन और गुणवत्ता प्रभावित हुई है. क्या सरकार किसानों का खराब हुआ सोयाबीन भी एमएसपी पर खरीदेगी.''

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